कुंभ मेला एक आध्यात्मिक ज्ञान
भारत, सनातन धर्म एवं विश्व का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध धार्मिक मेला 'कुंभ मेला' देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विविधताओं को पल्लवित एवं पोषित करता है साथ ही सामाजिक समसता, एकता और सद्भाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कुंभ विश्व के विभिन्न संस्कृतियों से लोगों के एक साथ आने का मानवता के सबसे बड़े समागम के दर्शन करने का और भागीदारी करने का महत्वपूर्ण पर्व है
कुंभ वैश्विक पटल पर शांति और एकता का एक प्रतीक है कुंभ को भारतीय संस्कृति का महापर्व कहा गया है कुंभ का बौद्धिक, पौराणिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार भी है कुंभ स्नान और ज्ञान का अनूठा संगम भी है विभिन्न तरह के साधु, सिद्ध पुरुष, विद्वान और पंडित इस मेले में आकर पूजा पाठ यज्ञ आदि का आयोजन करते हैं। इस मेले में शामिल होकर आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। दिसंबर 2017 में यूनेस्को ने भारत में आयोजित इस मेले को इंटेजिबल कल्चर हेरीटेज आफ ह्यूमैनिटी लिस्ट में शामिल किया है इस तरह यह मेला एक वैश्विक स्तर का आयोजन बन गया है।
दुनिया में पानी के बहुत से मेले लगते हैं लेकिन कुंभ जैसा कोई नहीं स्वीडन के स्टॉकहोम, ऑस्ट्रेलिया की विश्व ब्रेन ब्रेन अमेरिका की हडसन कनाडा की ओटावा जाने कितनी ही नदी उत्सव 4 साल दर साल आयोजित होते हैं लेकिन कुंभ, कुंभ की बात कुछ और है जाति, धर्म, अमीरी, गरीबी यहां तक कि राष्ट्र की सरहदें भी कुंभ में कोई मायने नहीं रखती साधु संत समाज देशी-विदेशी इस आयोजन में आकर सभी जैसे खो जाते हैं कुंभ में आकर ऐसा लगता ही नहीं कि हम भिन्न हैं हालांकि पिछले 50 वर्षों में बहुत कुछ बदला है बावजूद इसके यह सिलसिला वर्ष 2 वर्ष नहीं हजारों वर्षों जारी है 6 वर्ष में अर्धकुंभ 12 वर्ष में कुंभ और 144 वर्ष में महाकुंभ।
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